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घर लौटता फ़ौजी

घर लौटता फ़ौजी
दूर दहशत के अंगारों को छोड़ आता है वह मस्त मौला फौजी

सुकून के चंद पल बिताने वह मनमौजी
ढेर सारे अरमानों को मन में सजाये संवारे वह जांबाज फ़ौजी

गलिया गांव की हो या शहर की राह तकते वे भी
सबकी मुस्कुराहटों से, लगाकर गले दोस्त करते हैं स्वागत भी 

आती है जब डगर पर ठंडी बयार
बूढ़े बरगद के नीचे की गई मस्ती उसको याद दिला जाती है

धूल मिट्टी में खेलते
बच्चों की टोली जवान को देखकर जोरदार सेल्यूट लगाती है

रसोई घर से
आ रही खुशबू की महक भी घर के खाने की तलब बढ़ाती है

पानी भरती पनिहारीनें
भी लजाकर गले को तर करने लिए जरा पूछ ही जाती है

आशीष बरसाती है जब घर की देहरी पर सजल नयन
उसके मन को अपने घर में होने का एहसास सुकून दे जाती है

जननी की गोद में सर रखकर सोता है जब वह फौजी
हर्षित पुलकित हो जाती है उस पल को देखकर मातृभूमि भी



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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

05-Oct-2021 11:49 AM

Very nice

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Shalini Sharma

04-Oct-2021 02:25 PM

Beautiful

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